शीशम पेड़ के लाभ व आयुर्वेदिक नुस्खे
शीशम का पेड़ नीम का पेड़ खूब लगाके की जल्दी बढे इसलिये सोचा इसके बारे में भी बतायें आजकल शीशम में कोई रोग भी लग रहा सूख रहे
शीशम (Shisham Tree In Hindi) की लकड़ी भवनों और फर्नीचर के निर्माण में प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष की लकड़ी और बीजों से एक तेल निकाला जाता है, जो औषधियों में प्रयोग किया जाता है। कई पौराणिक ग्रंथों में इसके बारे में बताया गया है। शीशम की निम्नलिखित प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता हैः-
शीशम (Dalbergia Sissoo Roxb. ex DC)
इसका वृक्ष लगभग 30 मीटर तक ऊंचा मध्यमाकार होता है। इसकी छाल मोटी, भूरे रंग की तथा दरारयुक्त होती है। इसके फूल पाण्डुर पीले रंग के तथा छोटे होते हैं।
कृष्णशिंशप (Dalbergia latifolia Roxb.)
यह 15-20 मीटर ऊंचा पर्णपाती वृक्ष होता है। जिसकी शाखाएं चिकनी होती हैं। इसके फूल 5-10 मीटर लम्बे गुच्छों में और मटमैले सफेद रंग के होते हैं। इसकी छाल तथा पत्तियों का उपयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। शीशम के उपयोग से वीर्य विकार, कुष्ठ रोग, घाव से होने वाली जलन, सूजन, उल्टी, खून से संबंधित रोग, हिचकी आदि रोगों में फायदा प्राप्त किया जा सकता है।
अनेक भाषाओं में शीशम के नाम (Shisham Called in Different Languages)
भारत में शीशम को मुख्यतः शीशम के नाम से ही जानते हैं लेकिन इसके और भी नाम है जिनसे देश या विदेशों में शीशम का जाना जाता है। शीशम का वानस्पतिक नाम डैल्बर्जिया सिसो (Dalbergia sissoo Roxb. ex DC., Syn-Amerimnon sissoo (Roxb. ex DC.) Kuntze, फैबेसी (Fabaceae) है और इसके अन्य नाम ये हैंः-
Shisham in-
Hindi (shisham tree in hindi) – शीशम, सीसम, शीसो शीसव
English – साऊथ इण्डियन रोजवुड (South Indian rosewood), ब्लैक वुड (Black wood), रोजवुड (Rosewood), शीशम (Shisham)
Sanskrit – श्शांप, पिप्पला, युगपत्तेिका, पिच्छिला, श्यामा, कृष्णसारा
Urdu – शीशम (Shisham)
Oriya – पदीमी (Padimi), सीसू (Sisu)
Assemia – सिसु (Sissu); कोंकणी-सिसो (Sisso)
Kannada – बिरिडी (Biridi), अगरू (Agaru)
Gujarati – सीसोम (Sissom), सीस (Sis)
Telugu – सिंसुपा (Sinsupa)
Tamil – गेट्टे (Gette), मुक्कोगेट्टे (Mukkogette)
Bengali – शिसु (Shisu)
Nepali – बांदरे शिरिण (Bandre shirin), सिस्सो (Sissau)
Punjabi – नेलकर (Nelkar), टाली (Tali)
Malayalam – इरुविल (Iruvil)
Marathi (shisham tree in marathi) – सीसू (sisu), शिसव (Sisva)
Arabic – सासम (Sasam), सासीम (Sasim)
शीशम के फायदे (Shisham Benefits and Uses)
अब तक आपने जाना कि जिस शीशम को आप केवल एक पेड़ (shisham tree) के रूप में जानते हैं उसके कितने नाम है और वह कितना फायदेमंद होता है। आइए अब जानते हैं कि शीशम के इस्तेमाल से कितनी सारी बीमारियों में लाभ लिया जा सकता है। शीशम के औषधीय प्रयोग, औषधीय प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
शरीर की जलन में करें शीशम के तेल का प्रयोग (Shisham Tree medicinal Uses in Relieves Body Irritation in Hindi)
शीशम का तेल लगाने से शरीर की जलन ठीक हो जाती है।
पेट की जलन में करें शीशम का उपयोग (Sheesham leaves Benefits in Cure in Acidity Problem in Hindi)
आप पेट की जलन का इलाज शीशम से कर सकते हैं। 10-15 मिली शीशम के पत्ते का रस लें। इसे पीएं। इससे पेट की जलन की बीमारी ठीक होती है।
आंखों की बीमारी में शीशम के इस्तेमाल से फायदा (Sheesham Leaves Benefits in Eye Disease in Hindi)
आंखों की बीमारी जैसे आंखों में होने वाली जलन में शीशम का इस्तेमाल फायदा पहुंचाता है। शीशम के पत्ते (sisam ke patte) के रस में मधु मिलाकर 1-2 बूंदें आंखों में डालने से आंखों के रोग में आराम मिलता है।
बुखार के इलाज में उपयोगी होता है शीशम का इस्तेमाल (Shisham Tree Medicinal Uses in Deals With Fever in Hindi)
बुखार किसी भी तरह का हो, सभी में शीशम का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। शीशम का सार 20 ग्राम, पानी 320 मिली तथा दूध 160 मिली लें। इनको मिलाकर दूध में पकाएं। जब दूध थोड़ा रह जाए तो दिन में 3 बार पिलाएं। इसे बुखार ठीक होता है।
एनीमिया के इलाज के लिए करें शीशम का प्रयोग (Shisham Tree Medicinal Uses in Cure in Anemia in Hindi)
एनीमिया को ठीक करने के लिए 10-15 मिली शीशम के पत्ते का रस लें। इसे सुबह और शाम लेने से एनीमिया में भी लाभ होता है।
मूत्र रोग में फायदेमंद शीशम का सेवन (Sheesham Tree Uses in Cures Urinary Problems in Hindi)
मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में भी शीशम उपयोगी साबित होता है। 20-40 मिली शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे दिन में 3 बार पिलाएं। इससे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि में लाभ होता है। इसके साथ ही 10-20 मिली पत्ते (sisam ke patte) काढ़ा का सेवन करने से वसामेह में लाभ होता है।
पुरुषों के प्रमेह रोग (गोनोरिया) में लाभदायक शीशम का प्रयोग (Sheesham Tree leaves Benefits in Gonorrhea Disease of Men in Hindi)
ल्यूकोरिया के लिए शीशम के 8-10 पत्ते व 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर प्रातःकाल सेवन करें। इससे पुरुषों का प्रमेह रोग भी ठीक हो जाता है।
शीशम का करें सेवन और दस्त को रोकें (Sheesham Tree leaves benefits to Stop Diarrhea in Hindi)
आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें। इसे मथकर पिच्छावस्ति देने से दस्त पर रोक लगती है।
हैजा में फायदेमंद शीशम का उपयोग (Sheesham Leaves Benefits in Cholera Treatment in Hindi)
हैजा के इलाज के लिए 5 ग्राम शीशम के पत्ते में 1 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम मरिच तथा 500 मिग्रा इलायची मिलाएं। इसे पीसकर 500 मिग्रा की गोली बना लें। 2-2 गोली सुबह और शाम देने से हैजा में लाभ होता है।
गुदभ्रंश (गुदा से कांच निकल या अमाशय की नलिका का गुदा से बाहर आना) में लाभ दिलाता है शीशा का सेवन (Benefits of Shisham in Prolapse of rectum Problem in Hindi)
आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें। इसे मथकर पिच्छावस्ति देने से गुदभ्रंश ठीक होती है।
स्तनों की सूजन में लाभ पहुंचाता है शीशम का प्रयोग (Shisham Tree Leaves Uses in Reduces Breast inflammation in Hindi)
महिलाएं स्तनों में सूजन की बीमारी में भी शीशम का इस्तेमाल कर सकती हैं। शीशम के पत्तों को गर्म कर स्तनों पर बांधें। इससे और इसके काढ़े से स्तनों को धोने से स्तनों की सूजन मिट जाती है।
घाव में लाभदायक शीशम का प्रयोग (Sisam ke Patte Uses in Heals Chronic Wounds in Hindi)
शीशम का तेल घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है।
मासिक धर्म की रुकावट में करें शीशम का उपयोग (Sheesham Tree Treats Menstrual Problems in Hindi)
3-6 ग्राम शीशम के सार का चूर्ण बनाएं या 20-40 मिली काढ़ा को दिन में 2 बार देने से मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में कमी आती है।
10-15 मिली शीशम के पत्ते के रस को सुबह और शाम देने से मासिक धर्म में लाभ होता है।
शीशम के 8-10 पत्ते (sisam ke patte) और 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर सुबह के समय सेवन करें। कुछ ही दिनों के सेवन से मासिक धर्म में होने वाला अनियमित रक्तस्राव सामान्य हो जाता है। सर्दियों में या ठण्ड के मौसम में इस प्रयोग के साथ-साथ 4-5 काली मिर्च भी प्रयोग में लेनी चाहिए। मधुमेह के रोगी बिना मिश्री के प्रयोग में लाएं।
ल्यूकोरिया का इलाज करता है शीशम (Sheesham Leaves benefits for Leucorrhoea in Hindi)
ल्यूकोरिया के लिए शीशम के 8-10 पत्ते व 25 ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर प्रातःकाल सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है।
शीशम के काढ़ा से योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
शीशम का करें प्रयोग मिलेगा सिफलिश में फायदा (Sheesham Leaves Benefits in treatment of Syphilis Disease in Hindi)
सिफलिश रोग में भी आप शीशम का इस्तेमाल कर सकते हैं। 15-30 मिली शीशम के पत्ते (Sheesham leaves) के काढ़ा का सेवन करने से सिफलिश या उपदंश में लाभ होता है।
सुजाक रोग के उपचार के लिए करें शीशम का उपयोग (Sheesham Tree Leaves Remedy for Gonorrhea in Hindi)
सुजाक रोग को ठीक करने के लिए 10-15 मिली शीशम के पत्ते के रस को दिन में 3 बार पीएं। इससे सुजाक की बीमारी में लाभ होता है।
शीशम से करें सायटिका का इलाज (Sheesham leaves benefits for Cytica Diseases in Hindi)
शीशम की 10 किलो छाल का मोटा चूरा बनाकर 25 लीटर जल में उबालें। आठवां भाग बाकी रहे तब ठंडा होने पर कपड़े में छान लें। इसको फिर चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा करें। इस गाढ़े पदार्थ को 10 मिली की मात्रा में लेकर घी और दूध में पकाएं। इसे 21 दिन तक दिन में 3 बार लेने से सियाटिका रोग में विशेष लाभ होता है।
चर्म रोग में शीशम के इस्तेमाल से फायदा (Sheesham Tree Leaves Benefits for Treats Skin Problems in Hindi)
शीशम का तेल चर्म रोगों पर लगाने से लाभ पहुँचता है। इससे खुजली भी ठीक हो जाती है।
शीशम (seasum) के पत्तों के लुआब को तिल के तेल में मिला लें। इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है।
20-40 मिली शीशम पत्ते से बने काढ़ा को सुबह और शाम पिलाने से फोड़े-फुन्सी मिटते हैं।
कुष्ठ रोग में फायदेमंद शीशम का प्रयोग (Benefits of Sheesham Leaves in Fights Leprosy in Hindi)
शीशम के 10 ग्राम सार को 500 मिली पानी में उबाल ले। जब पानी आधा रह जाए तो उतारकर छान लें। काढ़ा को 20 मिली मात्रा में लेकर शहद मिलाकर 40 दिन सुबह और शाम पीने से कोढ़ या कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है।
20-40 मिली शीशम (seasum) पत्ते से बने काढ़ा को सुबह और शाम पिलाने से फोड़े-फुन्सी मिटते हैं। कोढ़ में भी इसके पत्तों का काढ़ा पिलाया जाता है।
टीबी की बीमारी में फायदा पहुंचाता है शीशम (Sheesham Tree Leaves for Fights T.B. Disease in Hindi)
आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग कर सकते हैं। शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें। तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं। अब 10-20 मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें। इसे मथकर पिच्छावस्ति देने से टीबी रोग ठीक होता है और शक्ति में वृद्धि होती है।
शीशम के इस्तेमाल से फायदाःब्लड शर्कुलेशन रखता है ठीक (Sheesham Tree Leaves for Helps in Blood Circulation in Hindi)
रक्त संचार को सही रखने में भी शीशम का प्रयोग करना अच्छा रहता है। 5 मिली शीशम के पत्ते के रस में 10 ग्राम चीनी तथा 100 मिली दही मिलाकर सेवन करने से रक्त संचार या ब्लड शर्कुलेशन ठीक रहता है।
रक्त विकार को ठीक करता है शीशम का उपयोग (Uses of Sheesham Tree in Treating Blood problems in Hindi)
रक्त विकार को ठीक करने के लिए शीशम के 3-6 ग्राम सूखे चूर्ण का शरबत बनाकर पिलाएं। इससे रक्त विकार का ठीक होता है।
शीशम (shesham) के 1 किग्रा बुरादे को 3 ली पानी में भिगोकर उबालें। जब आधा रह जाये तो छानकर 750 ग्राम बूरा डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत रक्त का साफ करता है।
शीशम के इस्तेमाल की मात्रा (How Much to consume Shisham)
एक औषधि के रूप में शीशम के पेड़ (sheesham plant) इस्तेमाल की मात्रा ये होनी चाहिएः-
काढ़ा – 50-100 मिली
शीशम का चूर्ण – 3-6 ग्राम
शीशम के इस्तेमाल का तरीका (How to Use Shisham)
शीशम (shesham) का प्रयोग इस तरह किया जा सकता हैः-
शीशम की जड़
शीशम के पत्ते
शीशम के तने
शीशम के पेड़ (shisham tree) की अंदर की लड़की
शीशम कहां पाई जाती है या शीशम की खेती कहां होती है (Where is Shisham Found or Grown?)
शीशम (shesham) का जन्म अपने आप होता है। आप इसे सड़कों के किनारे देख सकते हैं। यह पूरे भारत में पाया जाता है।
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