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Showing posts from October, 2022

कालमेघ* एक गुणकारी पौधा है

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🙏🪷 *सुप्रभात* 🪷🙏 *"जिज्ञासा - कालमेघ"- औषधीयगुण* फायदे एंव सावधानियां👇 जागरूकता अभियान के तहत 👇 *श.S*  *कालमेघ* एक गुणकारी पौधा है, जो कई शारीरिक समस्याओं से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। *कालमेघ का वैज्ञानिक नाम एंड्रोग्राफिस पैनिकुलाटा (Andrographis Paniculata)* है। यह पौधा *हरे रंग* का होता है और इसकी *पत्तियों की बनावट मिर्च के पौधों* जैसी होती है।इसकी पत्तियों का *स्वाद कड़वा* होता है। कालमेघ को *कालनाथ, महातिक्त और ग्रीन चिरेता (Green Chiretta)* के नाम से भी जाना जाता है। *कालमेघ के फायदे* 👇 1) *डायबिटीज के लिए*-  कालमेघ एक जड़ी बूटी है और इसके औषधीय उपयोग को देखते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में व्यापक रूप से इसकी खेती की जाती है। इसका उपयोग डायबिटीज की समस्या से बचने के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, कालमेघ में *एंटी-डायबेटिक* गुण पाए जाते हैं, जो डायबिटीज की स्थिति में आपको सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। चूहों पर किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार भी यह देखा गया की कालमेघ के पौधे का अर्क का सेवन *टाइप 1 डायबिटीज* के खिलाफ प्रभावी रूप से कार्य कर

नीम की खली के फायदे व कैसे डाले | Neem Khali benefits in hindi

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पौधे के लिए  नीम की खली  एक बढ़िया जैविक खाद (Bio-fertilizer) और कीटनाशक है जिसे डालने से पौधों में अच्छा विकास, रोगों से सुरक्षा मिलती है। भारत सरकार भी नीम की खली युक्त खाद को बढ़ावा दे रही है क्योंकि यह प्राकृतिक खाद हमारे पर्यावरण पर कोई बुरा असर भी नहीं डालती। आइए जानते हैं कि नीम खली क्या है, नीम खली के फायदे व पौधों में डालने का सही तरीका। नीम की खली क्या होती है | नीम खली कैसे बनाई जाती है – Neem ki khali ke fayde नीम के पेड़ पर साल में 1-2 बार फल आते हैं। नीम के फल अंगूर के साइज़ के होते हैं। इन फलों के अंदर कड़ा बीज होता है। नीम के फल को बीज सहित सुखाकर, मशीन में पेराई करने से नीम का तेल निकलता है। तेल निकालने के बाद नीम के बीजों का बचा हुआ अंश ही  नीम की खली  कही जाती है। नीम की खली एक जैविक खाद (Organic Fertilizer) है जोकि हर तरह की फसल और पेड़ों के लिए फायदेमंद है। यह खाद पौधे के लिए सबसे जरूरी तत्व NPK ( नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम), जैविक कार्बन आदि तत्वों से भरपूर होती है। भारत सरकार की मानक संस्था BIS (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स) ने नीम की खली को पौधों के लिए एक असरदार ख

देसी गुलाब की खेती

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*औषधीय खेती विकास संस्थान* *गुलाब प्रकृति* प्रदत्त एक अनमोल फूल है जिसकी आकर्षक बनावट, सुन्दर आकार, लुभावना रंग एवं अधिक समय तक फूल का सही दिशा में बने रहने के कारण इसे अधिक पसंद किया जाता है। यदि गुलाब की खेती वैज्ञानिक विधि से किया जाय तो इसके बगीचे से लगभग पूरे वर्ष फूल प्राप्त किये जा सकते हैं। जाड़े के मौसम में गुलाब के फूल की छटा तो देखते ही बनती है। इसके एक फूल में 5 पंखुड़ी से लेकर कई पंखुड़ियों तक की किस्में विभिन्न रंगों में उपलब्ध है। पौधे छोटे से लेकर बड़े आकार के झाड़ीनुमा होते हैं इसके फूलों का उपयोग पुष्प के रूप में, फूलदान सजाने, कमरे की भीतरी सज्जा, गुलदस्ता, गजरा, बटन होल बनाने के साथ-साथ गुलाब जल, इत्र एवं गुलकन्द आदि बनाने के लिए किये जाते हैं। *जलवायु* ठंढ़ एवं शुष्क जलवायु गुलाब के लिए उपयुक्त होती है। जाड़े में इसके फूल अति उत्तम कोटि के प्राप्त किये जाते हैं, क्योंकि जाड़े में वर्षा बहुत कम या नहीं होती है तथा रात्रि का तापक्रम भी कम हो जाता है। लेकिन अत्यधिक कम तापक्रम पर फूल को नुकसान पहुँचता है तथा कभी-कभी फूल खिलने से भी वंचित रह जाते हैं। *भूमि*