अनंतमूल Anantmul {"Hemidesmus Indicus"}
अनंतमूल Anantmul
इसे अन्य भाषाओं में गौड़ीसर, उत्पल सारिका, ऊपरसाल, उपलसरी, काबरबेल, धूबरबेल, कालीबेल, इंडियन सार्रसा परीला आदि नामो से जाना जाता है। ये औषधि भारत के सभी जगहों पर पाया जाता है। विशेषकर उत्तरी भारत में अवध से लेकर सिक्किम तक और दक्षिणी भारत में ये ट्रावरकोर और सिलौंग के पहाड़ी प्रदेशों में पाया जाता है।
अनंतमूल की पहचान Anantmul ki Pahchan
अनंतमूल दो प्रकार की होती है एक सफ़ेद और दूसरी काली। सफ़ेद को गौरीसर और काली को कालीसर कहते है। इसकी लताये गहरे लाल रंग की होती है। पत्ते तीन-चार अंगुल लम्बे जामुन के पत्तो के सामान होते है। इन पत्तो को तोड़ने पर उनमे से दूध निकलता है। इन पत्तो पर सफ़ेद रंग की लकीरे होती है। इनके फलियों के पककर फट जाने पर इनमे से रुई निकलती है। इसकी जड़ लम्बी, गोल और टेढ़ी-मेढ़ी होती है। जड़ के ऊपर की छाल लाल रंग की होती है। जड़ के अंदर कपुरककरी के समान मनोहर सुगंध आती है। जिस जड़ो से ऐसी सुगंध आती है वही जड़े औषधि के काम लेने योग्य होती है। इसकी जड़ में एक उड़ने वाला सुगन्धित द्रव्य रहता है। इसी द्रव्य में औषधि के सारे गुण रहते है।
अनंतमूल के आयुर्वेदिक गुण
ये बलकारक, रक्तशोधक, शुक्रजनक, देह के दुर्गन्ध मिटाने वाला, धातुपरिवर्तक, चर्मरोग नाशक, मंदाग्नि, श्वांस, खांसी, त्रिदोष, प्रदररोग, कफ, अतिसार, रक्तपित्त, वात आदि का नाशक होती है। इसको गिलोय के साथ देने से इसके गुण में वृद्धि होती है।
अनंतमूल के उपयोग या फायदे
- अनंतमूल के जड़ को बासी पानी में पीसकर आंजने से या इसके पत्तो को जलाकर इसकी राख को शहद के साथ मिलाकर आंजने से आँख में सूजन नष्ट होता है।
- बवासीर में दुधेली के पत्ते के रस में ऊपरसाल की जड़ का चूर्ण एक ग्राम की मात्रा में लगातार सात दिन देने से काफी लाभ होता है।
- कालीबेल के जड़ के चूर्ण को गाय के दूध के साथ देने से पथरी और मूत्र की पीड़ा बंद हो जाती है।
- धूबरबेल छोटी सी जड़ को केले के पत्ते लपेटकर आग में भूनकर जीरे और शक्कर के साथ पीसकर घी मिलाकर चटाने से वीर्य और मूत्र सम्बन्धी कई रोग मिटते है। इसी का लेप के मूत्रेन्द्रिय पर लगाने से मूत्रेन्द्रिय भी मिटती है।
- इसके पत्तो को पीसकर दांतो के नीचे दबाने से दन्त रोग भी दूर होता है।
- काबरबेल को वायबिडंग के साथ देने से मरणोन्मुख बच्चे नवजीवन पा जाते है। ये बालको के लिए अमृत सामान है।
- इसकी जड़ को घिसकर चावल के धोवन के साथ पिलाने से या उसको आँख में आंजने से सर्पदंश में लाभ होता है।
- रुके हुए पेशाब में खांखरे के फूल का पानी बनाकर उस पानी में इसकी जड़ को घिसकर पिलाने से रुका हुआ पेशाब आने लगता है।
- उत्पल सारिका का शीतल क्वाथ दिन में तीन बार ढाई-ढाई तोला पिलाने से कंठमाला, फोड़े, फुंसी और उपदंश सम्बन्धी बीमारियां दूर होती है।
- जिन स्त्रियों को गर्मी या और किसी वजह से गर्भपात होता हो या बालक का जन्म के समय मृत्यु हो जाता हो उस स्थिति में स्त्री के गर्भवती होते ही अनंतमूल का शीतल कषाय देते रहने से गर्भपात होना बंद हो जाता है। और अत्यंत निरोगी, हृष्ट-पुष्ट और गौरवपूर्ण बालक पैदा होता है।
अनन्तमूल
प्रति एकड़ पौधों की संख्या
12000
समय 2 से 3 साल
पौधे से पौधा 2x2
महत्वपूर्ण भाग जड़।
प्रति पौधा न्यूनतम 1 किलो गिली जड़।
गीली जड़ का भाव 50 से 70 रुपये किलो ।
सुखी जड़ 300 से 500 रुपये किलो
सिंचाई 15 से 20 दिन में एक बार।
इसे बाग बगीचे के बीच मे भी लगाया जा सकता है।
उत्पादित बीज़ की कीमत 50 हजार से 1 लाख रुपये किलो (अतिरिक्त लाभ) 10 महीने बाद से ।
प्रति पौधा कीमत 10/-
(12000 से अधिक के आर्डर पर)
12000 से कम पौधे लेने पर 15 रुपये।
औषधीय खेती विकास संस्थान 🙏नमस्कार दोस्तों🙏 सभी से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ध्यान से पड़े।
नोट:- उपरोक्त विवरण में लागत,आय,खर्च,समय आदि सामान्य रूप से ली जाने वाली फसल के आधार पर है जो मूल रूप से प्रकृति ,पर्यावरण एवं भौगोलिक परिस्थितियो पर निर्भर है।अतः आय को अनुमानित आधार पर दर्शाया गया है। जिसमे परिवर्तन (कम ज्यादा)हो सकता हैं।
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