केसर की फसल




बुआई का समय 
 
बुआई का समय 1 जुलाई से 31  अगस्त के बीच 
फसल अवधि 90 से 110  दिन 

मिटटी की तैयारी व् खेत की जुताई 
केसर की फसल बुवाई के समय खेत की तैयारी  के लिए तीन से चार बार जुताई पर्याप्त हैं ! अच्छी पैदावार करने के लिए कृषि यार्ड खाद और अन्य करबार्निक पदार्थों को अंतिम जुताई से पहले मिटटी के ठीक से मिलाया जाना चाहिए! छोटे संचलनीय {2mx 1mx 15Cm } उठाया बेड  अच्छे परिणाम दे सकते हैं! बेड को भी चार भागों पर किसी भी अधिक नमी का निकास करने के लिए चैनल होना चाहिए!

बीज की मात्रा 
DIBBLING  के लिए 15 कुंतल के घनकन्द प्रति हे. की आवश्यकता होती है !

बुआई का तरीका 
घनकन्द 6 -7 सेमी गहरी लगे जाना चाहिए और 10 सेमी X 10 सेमी की दुरी को अपनाना चाहिए!

उर्वरक व खाद प्रबंधन 

अंतिम जुताई से पहले २० टन गोबर की खाद प्रति हे. मिटटी में डालना चाहिए! 90 किलोग्राम नाइट्रोजन और 60 किलो प्रत्येक फास्फोरस और पोटाश प्रति हे. डालना चाहिए! 

सिचाई-:

बढ़ती मौसम के दौरान इसे २-३ सिचाई की आवश्यकता है और यह वर्षा पर निर्भर करता है!


फसल की कटाई 

फूलों की यांत्रिक कटाई से परणसमुह को नुकसान होगा और प्रतिस्थापन घनकन्द का उत्पादन भी काफी कम होगा !सामान्य रूप से केसर के फूलों की कटाई सुबह के समय में हाथ से चुनकर करते हैं! काम लम्बे समय तक और तुला मुद्रा में किया जाता है! कुछ वैक्यूम सिंद्धांत पर आधारित मशीनों की कोशिश की जा सकती है लेकिन यह उत्पाद की गुडवत्ता  को प्रभावित नहीं करता है! इसकी देखभाल किया जाना आवश्यक है! 1 हेक्टेयर भूमि के केसर से  उत्पादित फूलों से स्त्री केसर को अलग करने के लिए  90 दिनों की आवस्यकता है! 

अक्टूबर व नवम्बर के माह में जब किसान व्यस्त केसर होते हैं ! तब इन दिनों श्रम की आवस्यकता होती है! आमतौर पर केसर तीन उच्छिष्ट में 4 दिन के अंतराल में अक्टूबर के अंतिम पखवाडें से इकठा करना शरू किया जाता है! पंखुड़ी और पुंकेसर के स्टाइल को अलग करने के लिए प्रयास जिसमे हवा के सुरंग के माध्यम से जिसमे अस्थिर चूषड़ पाइप जो कट फूल को विभिन्न भेंवर के द्वारा उजागर करता है! एक सरलीकृत संस्करड़ में पंखा के द्वारा पंखड़ी पुंकेसर से अलग होती है! और फिर हाथ से या एक फ़्लैट या बेलनाकार लोहे स्क्रीन के माध्यम से उसे अलग करते हैं! लेकिन इस ऑपरेशन को भी हाथ से पूरा किया जाना चाहियें ! कश्मीर में आमतौर पर उत्पाद छाया में सूखते हैं ! जो 8 % की सुरच्छित नमी के स्तर तक उत्पाद सूखने के लिए 27 -53  घंटें लगते है !

केसर की गुडवत्ता में गिरावट धीरे से सूखने का परिणाम हैं ! कश्मीर में डिजाइन और गढ़े  सौर गर्म हवा ड्राईसेर सुखने के समय को ३-४ घंटे के लिए कम करते हैं! और उत्पाद को रंगद्रव्य केन्द्रीकरण जो ताजा केसर में पाया जाता है! उसके बहुत करीब दीखता है! ख़राब मौसम , मिटटी और धूल से बचने के लिए सौर केसर ड्राई को निचे तार के जाल साथ का सुखाने का एक ट्रे और एक छत होता है! गिलास से सिल्डेड और एक काले लेपित नालीदार जस्ती लोहे की चादर शोषक के साथ का सौर कलेक्टर प्राकृतिक संवहन के माध्यम से परिवेश के ऊपर हवा का प्रवाह बनाता है! 

ताजा केसर {1 किलोग्राम} सुखाने के ट्रे में रखा जाता है! और 8 -10 % की नमी सामग्री तक सुखने के लिए उसको 4-6 घंटे लगते है! इसकी अनुमानित लगत 6500 रूपये है! ड्राई बेशरद मौसम और किसान को घर के अंदर उपयोग करने के लिए डिजाइन किये हैं! यह एक ट्रे ड्रायर है! 45+5 डिग्री सेल्सियस गर्म हवा पूरक हीटिंग बिजली का एलपीजी स्टोव या नरम कोक उपयोग कर के धौकनी द्वारा परिचालित है! संशोधित गर्म हवा ड्रायर को प्रत्येक 1 वर्ग मीटर आकार के चार सुखाने के ट्रे और 100 सेमी की चिमनी है ! इस का शरीर {Thermally} ऊर्जा संरछण पृथक की है! इस ड्रायर की कीमत लगभग 1500/-रूपये है!

उपज सुखे केसर की औसत 2.5 किलो प्रति हेक्टयर की है !  

    





औषधीय खेती विकास संस्थान 🙏नमस्कार दोस्तों🙏 सभी से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ध्यान से पड़े। 
 नोट:- उपरोक्त विवरण में लागत,आय,खर्च,समय आदि सामान्य रूप से ली जाने वाली फसल के आधार पर है जो मूल रूप से प्रकृति ,पर्यावरण एवं भौगोलिक परिस्थितियो पर निर्भर है।अतः आय को अनुमानित आधार पर दर्शाया गया है। जिसमे परिवर्तन (कम ज्यादा)हो सकता हैं।

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