ब्रोकली की खेती

ब्रोकली की खेती से कमाइए लाखों


ब्रोकली की खेती से कमाइए लाखों
ब्रोकली की खेती से किसान भाई लाखों की कमाई कर सकते हैं। खासकर बड़े शहरों के निकट के स्थानों पर इसकी खेती से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। आजकल स्वास्थ्य के लिए औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसकी मांग बढ़ती जा रही है। राजधानी दिल्ली में इंडियामार्ट जैसे माध्यम पर इसकी कीमत अच्छी खासी मिलती है। कुल मिलाकर बाजार में इसके भाव अच्छे मिलते हैं। इसकी खेती लगभग फूलगोभी की तरह होती है।
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में ठंड के मौसम में जबकि कश्मीर, हिमाचल और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में इसका बीज उत्पादन भी होता है। आजकल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा ब्रोकली की नई किस्में विकसित की गई हैं।
ब्रोकली की खेती लिए मिट्टी एवं जलवायु-
ब्रोकली की खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु अच्छी रहती है। जबकि बलुई दोमट मिट्टी के अलावा यह अन्य कई प्रकार की मिट्टी में खेती के लिए अनुकूल है।
ब्रोकली की किस्में-
ब्रोकली की किस्में रंग के आधार पर तीन तरह से विभाजित हैं। हरी, सफेद और बैंगनी। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा ब्रोकली की किस्म पूसा ब्रोकली 1 का सुझाव दिया गया है। जिसके बीज हिमाचल प्रदेश से प्राप्त किए जा रहे हैं। इसके अलावा ब्रोकली की वालथन-29, पालम कंचन, ग्रीन हेड, ग्रीन सर्फ आदि प्रमुख संकर किस्म हैं।
ब्रोकली लगाने का समय-
ब्रोकली लगाने का समय उत्तरी मैदानी क्षेत्रों के लिए ठंड का मौसम जबकि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए सितंबर व अक्टूबर, मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए अगस्त-सितंबर और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों के लिए मार्च और अप्रैल उपयुक्त समय है।
बीज की दर-
ब्रोकली की बीज दर एक हैक्टेयर के लिए 400 ग्राम तक उचित है।
नर्सरी तैयार करने की विधि-
ब्रोकली के लिए नर्सरी तैयार करने के लिए जमीन से डेढ़ मीटर तक ऊंची जबकि एक फीट चौड़ी और तीन फिट लंबी क्यारी तैयार करते हैं। क्यारी में गोबर की खाद मिलाकर बीज को 4 से 5 सेमी. की दूरी पर 2.5 सेमी की गहराई पर बुवाई करते हैं।
खेत में पौध का रोपण-
ब्रोकली की नर्सरी लगभग चार सप्ताह में तैयार हो जाती है। इसके बाद पंक्ति से पंक्ति में 15 से 60 सेमी. के अंतर पर जबकि पौधों में 45 सेंमी के अंतर पर रोपाई कर देते हैं। रोपाई के दौरान मिट्टी में नमी सुनिश्चित कर लें और सिंचाई अवश्य करें।
खाद-
खेत में गोबर की सड़ी खाद पचास से साठ टन और नाइट्रोजन 100 से 120 किग्रा. और फास्फोरस 45 से 50 किग्रा. प्रति हैक्टेयर उपयोग करनी चाहिए। ध्यान रहे कि नाइट्रोजन की खाद दो से तीन बार में बांटकर डालें। रोपाई के पच्चीस, पैंतालीस और साठ दिन पर उपयोग कर सकते हैं।
सिंचाई-
ब्रोकली में मौसम के अनुसार 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई कर देनी चाहिए।
ब्रोकली की उपज-
ब्रोकली की उपज प्रति हैक्टेयर सामान्य तौर पर 15 से 20 टन होती है जबकि किस्मों के अनुसार भिन्नता भी पाई जाती है।


औषधीय खेती विकास संस्थान 🙏नमस्कार दोस्तों🙏 सभी से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ध्यान से पड़े।
 नोट:- उपरोक्त विवरण में लागत,आय,खर्च,समय आदि सामान्य रूप से ली जाने वाली फसल के आधार पर है जो मूल रूप से प्रकृति ,पर्यावरण एवं भौगोलिक परिस्थितियो पर निर्भर है।अतः आय को अनुमानित आधार पर दर्शाया गया है। जिसमे परिवर्तन (कम ज्यादा)हो सकता हैं।

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