छाछ (लस्सी) आयुर्वेदिक नुस्खे
हम और आप ग्रामीण अंचल में रहते हैं तो छाछ बनाने की विधि तो सभी जानते ही होंगे।
इसलिए मैं आज आपको आज छाछ के गुण और कैसे प्रयोग करें ये बताऊंगा।
अच्छी प्रकार से तैयार की हुई छाछ अत्यंत रुचिकर सुपाच्य मल मूत्र को साफ करने वाली तथा अन्य द्रव्य को भी बचाने वाली होती है इसी कारण इसका प्रयोग संग्रहणी, अतिसार, अर्श, नलों की वायु, पीलिया, उदर शूल, हैजा, मूत्र के रोग, अशमरी तथा गूल्म आदि विकारों किया जाता है।
#गुण:---
1 यह विष विकार का नाश करती है ।
2 यह क्षुधावर्धक है ।
3 यह नेत्र रोगनाशक है ।
4 रक्त एवं मास की वृद्धि करती है ।
5 आंव एवं कफ वात नाशक है ।
6 नेत्र रोगों में लाभप्रद है ।
7 ज्वर रोग नाशक है।
8 अतिसार, शुल, तिल्ली रुचि को दूर करती है।
9 कुष्ठ रोग एवं कुष्ठ रोग में सूजन में लाभदायक है।
#रोगानुसार छाछ का प्रयोग :---
1 वात विकार में सैंधा नमक के साथ प्रयोग करें।
2 पित विकार में शक्कर मिलाकर प्रयोग करें।
3 कफ विकार में सौंठ, सैंधा नमक, काली मिर्च व पीपल इन सभी को मिलाकर लेना चाहिए।
4 मुत्रकृच्छ में गुड के साथ प्रयोग करें।
5 पीलिया के रोग में चित्रक के चूर्ण के साथ ले।
6 उदर विकार में :-----
A . वातोदर में पीपल व सैंधा नमक के साथ ले ।
B . पितोदर में शक्कर और काली मिर्च मिलाकर लें ।
C . कफोदर में अजवायन, सैंधा नमक, जीरा , सौंठ , पीपल व काली मिर्च के साथ लें ।
D . ग्रहणी रोग में छाछ का सेवन करना चाहिए , अन्न का बिल्कुल त्याग कर देना चाहिए । केवल छाछ पर ही रहें,इसमें हल्का सा सफेद जीरा भूनकर मिला देने से यह बहुत ही लाभदायक सिद्ध होता है।
इसीलिए इसको अपने भोजन में स्थान दे ।
अन्य किसी भी प्रकार की समस्या से छुटकारा पाने के लिए संपर्क करें :---
प्रदीप पाई आयुर्वेदिक केंद्र
बस स्टैंड के पास
पाई (कैथल) हरियाणा
9996250285
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