शहतूत बहुत उपयोगी औषधीय है।


शहतूत_की_औषधीय_उपयोगिता


गर्मियाँ शुरू हो चुकी है और जंगलों में अनेक प्रकार के फल बहार पर है।
शहतूत भी ऐसा ही जंगली फल है जो न केवल जंगलों में बल्कि सडकों और राजमार्गों के किनारे भी पाया जाता है और जिसके फल गर्मियों में प्रचुरता से उपलब्ध होते है।
हरियाणा में इसे तुतिया कहते हैं। 
आदिवासियों के अनुसार शहतूत का रस पीने से आँखों की ज्योति बढ़ती है और इनका शर्बत भी बनाया जाता है।
पातालकोट, मध्यप्रदेश के आदिवासी शहतूत के रस में चीनी मिलकर पीने की सलाह देते है उनका मानना की ऐसा करने से लू से बचाव होता है।
शहतूत का रस हृदय रोगियों के लिए काफी लाभदायक होता साथ ही जिन लोगो को ज्यादा प्यास लगने की शिकायत हो उनके लिए भी शहतूत का रस फायदेमंद होता है।
शहतूत और नीम की छाल को बराबर मात्र में पीसकर मुंहासों पर लगाने से आदिवासी मानते है इससे मुहांसे ठीक हो जाते है।
शहतूत में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे तत्व पाए जाते है।
शहतूत के सेवन से बच्चों को न केवल पर्याप्त पोषण प्राप्त होता है बल्कि यह बच्चों के पेट के कृमियों का भी नाश करता है। ऐसा माना जाता है की शहतूत का सेवन रक्तविकारों को नष्ट कर रक्त का शोधन करता है। गुजरात के डांग आदिवासी मानते है कि अगर शरीर के किसी भाग में सूजन हो तो उस पर शहतूत का रस और शहद मिलाकर लगाने से सूजन में राहत मिलती है।
जिन्हें पैर के तलुओं में जलन की शिकायत रहती है उन्हें शहतूत का रस पीना चाहिए।

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बस स्टैंड के पास 
पाई (कैथल) हरियाणा 
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