मुलेठी के आयुर्वेदिक नुस्खे

मुलेठी



अब तक मुलेठी को सिर्फ खांसी ठीक करने के लिए ही जाना जाता था, लेकिन यहां जानिए इसके और भी फायदों के बारे में. स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है. इसका इस्तेमाल आंखों के रोग, मुंह के रोग, गले के रोग, दमा, दिल के रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है. यह वात, पित्त, कफ तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है . 

#मुलेठी को यष्टीमधु के नाम से भी जाना जाता है। 


*• मुलेठी ( mulethi )मुख, गले, पेट रोग, अल्सर, कफ, के रोगों में बहुत उपयोगी है।*
*• यह कफ को सरलता से निकलने में मदद करती है।
*• यह दमा में उपयोगी है।*
*• मुलेठी चबाने से मुंह में लार का स्राव बढ़ता है। यह आवाज़ को मधुर बनाती है।*
*• यह श्वसन तंत्र संबंधी विकारों, कफ रोगों, गले की खराश, गला बैठ जाना आदि में लाभप्रद है।*
*• यह गले में जलन और सूजन को कम करती है।*
*• यह पेट में एसिड का स्तर कम करती है।*
*• यह जलन और अपच से राहत देती है तथा अल्सर से रक्षा करती है।*
*• पेट के घाव, अल्सर, पेट की जलन, अम्लपित्त में मुलेठी बहुत लाभप्रद है। मुलेठी में मौजूद ग्लाइकोसाइड्स पेट के घाव को भर देती है।*
*• अम्लपित्त में इसका सेवन तुरंत ही एसिड को कम करता है।*
*• यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है।*
*• मुलेठी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है।*
*• यह शरीर की इम्युनिटी बढाती है।*
*• मुलेठी में फाईटोएस्ट्रोजन phytoestrogens होते हैं जिनका हल्का estrogenic प्रभाव है।*
• *यह वीर्य को शुद्ध करती है। यह खून को पतला करती है।*

#मुलेठी के औषधीय इस्तेमाल* 


*कफ: अधिक कफ होने पर, 3 ग्राम मुलेठी चूर्ण को शहद के साथ लें।*
*मुलेठी 10 ग्राम + काली मिर्च 10 ग्राम + लौंग 5 ग्राम + हरीतकी 5 ग्राम + मिश्री 20 ग्राम, को मिलकर पीस लें और शहद के साथ 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ चाट कर लेने से पुरानी खांसी, जुखाम, गले की खराश, सूजन आदि दूर होते हैं।*

*खांसी: मुलेठी चूर्ण 2 ग्राम + आंवला चूर्ण 2 ग्राम को मिला लें। इस चूर्ण को शहद के साथ चाट कर लेने से खांसी दूर होती है।*
*खांसी के साथ खून आने पर, मुलठी का चूर्ण 1 टीस्पून की मात्रा में शहद या पानी के साथ लेना चाहिए।*

*गले के रोग: गले की सूजन, जुखाम, सांस नली में सूजन, मुंह में छाले, गला बैठना आदि में इसका टुकड़ा मुंह में रख कर चूसना चाहिए।*

*जुखाम: जुखाम के लिए, मुलेठी 3 ग्राम + दालचीनी 1 ग्राम + छोटी इलाइची 2-3, कूट कर 1 कप पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए, छान कर, मिश्री मिला कर दो बार, सुबह-शाम 2 चम्मच की मात्रा में लेना चाहिए।*

*हिक्का: हिचकी आने पर मुलेठी का एक टुकडा चूसें। नस्य लेने से भी लाभ होता है।*

*पेट रोग: पेट और आँतों में ऐठन होने पर मुलेठी का चूर्ण शहद के साथ दिन में 2-3 बार लेना चाहिए।*

*अल्सर में मुलेठी को 4 ग्राम को मात्रा में दूध के साथ लिया जाता है। या इसका क्वाथ दिन 2-3 बार शहद में मिलकर लेना चाहिए।*

*पेशाब रोग: पेशाब की जलन में, 2-4 ग्राम मुलेठी के चूर्ण को दूध के साथ लेना चाहिए*।

*रक्त प्रदर: रक्त प्रदर में, मुलेठी 3 ग्राम + मिश्री, को चावल के पानी के साथ लेना चाहिए।*

*धातु की कमी: धातु क्षय, में 3 ग्राम मुलेठी चूर्ण को 3 ग्राम घी और 2 ग्राम शहद के साथ मिला ले *

#मुलेठी के नुकसान :--

दो सप्ताह से ज़्यादा मुलेठी की बड़ी मात्रा लेना हानिकारक हो सकता है। यह हाई बीपी, द्रव प्रतिधारण (fluid retention) और चयापचय असामान्यताएं (metabolism abnormalities) जैसे दुष्प्रभावों का कारण बन सकती है।
यदि आप मूत्रल (diuretics) या हाई बीपी के लिए दवाईयाँ ले रहे हैं, तो इस जड़ी बूटी को लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
अगर आप मधुमेह, गुर्दे की बीमारी या कम पोटेशियम के स्तर से परेशान हैं, तो इस जड़ी बूटी को लेने से पूरी तरह बचें।

यह जड़ी बूटी गर्भवती महिलाओं या बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं है।


किसी भी प्रकार की समस्या से छुटकारा पाने के लिए संपर्क करें :-----
प्रदीप पाई आयुर्वेदिक केंद्र 
बस स्टैंड के पास 
पाई (कैथल) हरियाणा 
9996250285

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