लिसोड़ा(Cordia myxa) के लाभ आयुर्वेदिक नुस्खे



लिसोड़ा(Cordia Myxa)


यह एक विशाल पेड़ होता है जिसके पत्ते चिकने होते है, बचपन में अक्सर इसके पत्तों को पान की तरह ,सेमल के कांटे के साथ चबाते थे,तो मुंह पूरा लाल हो जाता था....।
इसकी लकड़ी इमारती उपयोग होता है...इसके बड़े पेड़ के तने  अधिकांश खोखले दिखाई पड़ते हैं,जिनका मुख्य कारण इसके गोंद के कारण पनपने वाले कीट होते हैं...।
इसे रेठु,लसोड़ा,गोंदी,निसोरा, गोधरी, भेनकर, शेलवेट आदि कहते हैं, हालांकि इसका वानस्पतिक नाम #कार्डिया_डाईकोटोमा है.......।
इसके कच्चे फलों की सब्जी और अचार भी बनाया जाता है...इसके फूलों (मोड़) की स्वादिष्ट सब्जी बनती है...इसके पके फल बड़े मीठे और बहुत चिकने लगते है...इसके फल से गोंद जैसा चिकनाहट निकलती है शायद इसी कारण इसे गुन्दा कहा जाता है 
#लिसोड़ा नम और सूखे जंगलों में बढ़ता है। इस पर लगने वाले फलों को गुँदे कहा जाता है। ये छोटे मीठे तथा गोंददार होते हैं। इसे 'डेला' भी कहते हैं।इसकी जन्मभूमि दक्षिण पूर्व चीन, भारत, हिमालय, हिन्द चीन आदि स्थल। इससे जाहिर होता है कि लसोड़ा उत्तराखंड में हजारों साल से पाया जाता है। यह  हरियाणा,हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान आदि में होता है।  कुछ जगहों पर जंगल के अलावा लोग अपने खेतों के किनारे पर भी इसे तैयार करते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण इसके पेड़ लुप्त हो रहे हैं। इसके बीज से पेड़ तैयार करना लगभग असंभव है। औषधीय गुणों से भरपूर इस प्रजाति के संरक्षण की जरूरत है। इसका पेड़ मध्य ऊंचाई वाला पेड़ है। इसकी ठूंठ 25 -50 सेंटीमीटर की होती है और ऊंचाई 10 मीटर तक हो जाती है। पत्तियों से यह छत जैसा दीखता है। यह भूरे रंग की छाल वाला पेड़ है। इसके फूल  सफेद होते हैं और केवल रात को ही खिलते हैं। लिसोड़ा, लसोड़ा , गुंदा के फल पहले गुलाबी पीले होते हैं जो पककर काले हो जाते हैं। सुश्रुत ने लसोड़ा, लिसोड़ा, गुंदा के औषधीय उपयोग के बारे में उल्लेख किया है।  इसका सेवन शरीर के लिए बहुत ही उत्तम और ताकत से भरपूर होता है। आयुर्वेद में लसोड़ा को कृमिनाशक और ताकतवर फल माना गया है। लसोड़ा में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस होता हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर को ताकत प्रदान करता हैं। इस फल को खाने से शरीर में ताकत आती है और शरीर को कई अन्य बीमारियों से राहत मिलती है। लसोड़ा में पान की तरह ही स्वाद होता है।  लसोड़ा की लकड़ी बड़ी चिकनी और मजबूत होती है। इमारती काम के लिए इसके तख्ते बनाये जाते हैं और बन्दूक के कुन्दे में भी इसका प्रयोग होता है। इसके साथ ही अन्य कई उपयोगी वस्तुएं बनायी जाती हैं। 

लिसोडा के फायदे :---

* इसके फल में मांस से कई गुना ताकत होती है 
* लिसोड़ा या लसोड़ा पोषक तत्व और औषधीय गुणों से भरपूर होता है
* सफेद पानी की समस्या के लिए इसके फल रामबाण औषधि है 
* इसके फल सुपारी के बराबर होते हैं
* कच्चे लसोड़े का साग और आचार भी बनाया जाता है
* पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अंदर गोद की तरह चिकना और मीठा रस होता है
* लसोड़े के पेड़ की छाल को पानी में उबालकर छानकर पिलाने से खराब गला भी ठीक हो जाता है।
* इसके पेड़ की छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों में मालिश करने से आराम मिलता है।
* इसके बीज को पीसकर दाद खाज और खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
* लसोड़ा में 2 फ़ीसदी प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट वसा फाइबर आयरन फास्फोरस व कैल्शियम मौजूद होते हैं।
* जब आधुनिक स्वास्थ्य सुविधा नहीं थी तो लसोड़े के प्रयोग से ही कई बीमारियां दूर की जाती थी।
* लगभग हर घर में लसोड़े के बीज चूर्ण आदि रखा जाता था जिसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जाता था।
* यदि सीजन में कोई व्यस्क इसके फलों का निरंतर सेवन करता है तो उसे जीवन में कभी भी कैल्सियम की कमी नही होती।
* इसके पतों या छाल का कुल्ला करने से मुँह के छाले ठीक जाते हैं। 
संरक्षण :- जलवायु परिवर्तन के कारण इसके पेड़ लुप्त हो रहे हैं, औषधीय गुणों से भरपूर इस प्रजाति के संरक्षण की जरूरत है।

#लिसोड़ा  के बारें अधिक जानकारी किसी के पास उपलब्ध हों तो कृपया शेयर करने का कष्ट करें।

अन्य किसी भी प्रकार की समस्या से छुटकारा पाने के लिए संपर्क करें :---


प्रदीप पाई आयुर्वेदिक केंद्र 
बस स्टैंड के पास 
पाई (कैथल) हरियाणा 
9996250285


Comments

Popular posts from this blog

अनंतमूल Anantmul {"Hemidesmus Indicus"}

लाजवन्ती (छुई-मुई) आयुर्वेदिक नुस्खे

कैमोमाइल की खेती