साडा वीर स्प्रे
साडा वीर न्यूट्रिकेयर बायो साइंस का जैविक उपज वृद्धिकार विशिष्ट उत्पादन है! इसमें पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक अदिकांश पोषक तत्व प्राकृतिक अवस्था में उपलब्ध हैं। यह एक जैविक उत्पादन है। जिसका पर्यावरण पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं है। इसका उपयोग सभी औषधियों, अनाजों, दहलहनों, गन्ना, सब्जियों, फल व फूलों की फसलों में समान रूप से कर सकते हैं।
👉🏻 उपयोग-: इसका प्रयोग फसल की बुवाई से लेकर के पकने से पहले तक कभी भी स्प्रे कर सकते हैं। इसका फसल की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं के दौरान प्रयोग करने से निम्न परिणाम प्राप्त होते हैं।
📍 बीज उपचार-: बुवाई के लिए बीजों को इसके दो प्रतिशत घोल में उपचारित करके बोने से बीजों के अंकुरण की छमता बढ़ जाती है तथा अंकुर मजबूत होकर निकालता है। जिससे पौधे को प्रारंभ से ही मजबूती प्राप्त होती है।
📍 बुवाई के समय-: बुवाई के समय बीज व खाद में मिलाकर बोने से भी अंकुरण में बेहतर परिणाम मिलते हैं तथा पौधा प्रारंभ से ही मजबूत होकर चलता है। जड़ों की संख्या में वृद्धि होती है तथा मिट्टी में नमी अधिक समय तक बनी रहती है।
📍 किल्ले निकालते समय-: अंकुरण होते समय फसलों में स्प्रे करने से किल्ले अधिक संख्या में तथा मजबूत होकर निकलते हैं। इस समय इसे यूरिया में मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।
📍 फूल व फलों के आने से पहले-: किसी भी फसल में फूल आने से पहले व फलत होते समय स्प्रे करने से फूलों की संख्या में वृद्धि होती है। फल आकार व वजन में बड़े व चमकदार पैदा होते हैं तथा समय पूर्व गिरते नहीं हैं।
उपयोग विधि व मात्रा
🩸 मिट्टी में {Soil Application}-: साडा वीर को मिट्टी या रेत में मिलाकर व कभी भी यूरिया व एन० पी० के० में मिलाकर भी प्रयोग कर सकते हैं। इसको मिलाने से यूरिया 25% व एन० पी० के० 10% की मात्रा की जा सकती है।
🎙️ मात्रा-1/2 कि० ग्रा० से 2 कि० ग्रा० प्रति एकड़ 500 ग्राम अर्थात एक पैकेट साडा वीर को एक कप पानी 150मिली. में घोल लें उसके बाद यूरिया, मिट्टी या अन्य उर्वरकों जैसे एन० पी० के० में अच्छे से मिलाकर प्रयोग करें।
📍 सचाई के साथ-: यदि सिंचाई ड्रिप द्वारा या स्प्रिंकलर द्वारा की जा रही है तब साडा वीर को उसके टैंक में मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है।
🩸 मात्रा-1/2 कि०ग्रा० से 2कि० ग्रा० तक प्रति एकड़
1-छोटा पैकेट MRP : 60/-Rs
2-बड़ा पैकेट MRP : 415/-Rs
औषधीय खेती विकास संस्थान
🙏नमस्कार दोस्तों🙏 सभी से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ध्यान से पड़े।
नोट:- उपरोक्त विवरण में लागत,आय,खर्च,समय आदि सामान्य रूप से ली जाने वाली फसल के आधार पर है जो मूल रूप से प्रकृति ,पर्यावरण एवं भौगोलिक परिस्थितियो पर निर्भर है।अतः आय को अनुमानित आधार पर दर्शाया गया है। जिसमे परिवर्तन (कम ज्यादा)हो सकता हैं।
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