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औषधीय खेती विकास संस्थान आप सभी किसान भाइयों के लिये एक सुनहरा अवसर प्रदान कर रही है।

स्टीविया (मीठी तुलसी) की खेती में लागत और उत्पादन {अनुदान : 5000/-Rs प्रति माह (20 माह तक)

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स्टीविया (मीठी तुलसी) की व्यवसायिक खेती में लागत और उत्पादन फ़सल लगाने का सही समय : फरवरी से नवंबर  फ़सल का उत्पादन का समय :  हर 3 माह में कटाई होती रहेगी। और 60 माह तक कर सकते हैं। प्रति एकड़ में पौधों की संख्या : 25,000 पौधे (1x1) फिट पौधे से पौधे की दूरी खेत की तैयारी : गहराई से जुताई करने के बाद बैड 1- फिट चौड़े बनालें। पौधे की लागत : 1 लाख रुपये फ़सल का उत्पादन : 300 ग्राम प्रति पौधे की दर 25000×300=7500 किलो प्रोसेसिंग के बाद लगभग 60% सुख निकल जाती है। 7500Kg-60%=3000 किलो बाजार मूल्य : 3000 किलो ×100/-Rs=3 लाख वर्ष फ़सल से लाभ : 3 लाख रुपये अनुमानित अनुदान : 5000/-Rs प्रति माह (20 माह तक)  नोट-: औषधीय खेती विकास संस्थान की सहायता से किसान भाई औषधीय पादपों की खेती के लिए सभी प्रकार की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। जैसे-: कॉन्टैक्ट फार्मिंग, बायबैक एग्रीमेंट, ट्रेनिंग, बीज व जैविक खाद, खेती के दरम्यान गाइडेंस ट्रेनिंग आदि। औषधीय खेती विकास संस्थान Contact Us -9044966260 www.akvsherbal.com ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और औषधीय खेती विकास संस्थान से जुड़ने के लिए क्लिक करें 👇👇 https://kutum

राष्ट्रीय बांस मिशन क्या है! { "National Bamboo Mission" }

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*_बारिश सबके आंगन में होता है। आपके हिस्से में कितना पानी आएगा। यह आंगन में रखे हुए कटोरे के ऊपर निर्भर करता है।_*  *प्रश्न:- राष्ट्रीय बांस मिशन क्या है?*   *उत्तर:-* राष्ट्रीय बांस मिशन कृषि मंत्रालय द्वारा प्रायोजित एक संगठन है जो भारतीय किसानों को बांस की खेती के लिए प्रोत्साहित करता है।  *प्रश्न:- राष्ट्रीय बांस मिशन की स्थापना कब की गई थी?*   *उत्तर:-* राष्ट्रीय बांस मिशन की स्थापना कृषि मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-19 में की गई थी।  *प्रश्न:- बांस की खेती से किसानों को क्या लाभ है?*   *उत्तर:-* बांस की खेती किसानों के लिए सर्वाधिक लाभ की खेती है। धान, गेहूं, गन्ना, पपीता, केला  या किसी और भी फसल की तुलना में बहुत अधिक है। बांस की खेती से किसान प्रति एकड़ प्रतिवर्ष ₹200000 से ₹500000 तक कमा सकता है।  *प्रश्न:- बांस की खेती मे एक बार पौधरोपण के बाद कितने साल तक अनवरत उत्पादन लिया जा सकता है?*   *उत्तर:-* बांस की खेती में एक बार पौधरोपण के बाद लगातार 60 साल तक उत्पादन लिया जा सकता है।  *प्रश्न:- बांस उत्पादन के बाद  बाजार कहां उपलब्ध है?*   *उत्तर:-* चुंकि बॉस का उपयोग अब बहुत

बांस की खेती के फायदे

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*बांस की खेती मतलब तनाव से मुक्ती (1 एकड़ बनाम 4 एकड़)*   *1:-* 1 एकड़ में बांस की खेती का आमदनी किसी और फसल की खेती के तुलना में 4 गुना से भी अधिक होता है।  *2:-* बांस की खेती बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भी किया जा सकता है  *3:-* बांस की खेती पोषण और बंजर जमीन में भी किया जा सकता है।  *4:-* बांस की खेती धूंस वाली जगह पर भी किया जा सकता है।  *5:-* बांस की खेती पर मौसम का कोई असर नहीं होता है।  *6:-* बांस की खेती पर जलवायु का कोई असर नहीं होता है।  *7:-* बांस की खेती पर ओलावृष्टि का भी कोई असर नहीं होता है।  *8:-* बांस की खेती में पौधारोपण के बाद 60 साल तक लगातार फसल का उत्पादन लिया जा सकता है।  *9:-* बांस की खेती ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम करके अगली पीढ़ी को सुरक्षित पर्यावरण देने में भी सक्षम है।  *नोट:-* इसीलिए किसानों को अपनी क्षमता के हिसाब से बांस की खेती करनी चाहिए। 👉बांस की खेती मतलब हरा सोना अनुबंध के साथ खेती करने के लिए संस्था से संपर्क करें। *औषधीय खेती विकास संस्थान* Mo -9044966260 www.akvsherbal.com https://chat.whatsapp.com/G5XtIAu5nXNGh5vDNxigV5

मिल्क थिस्टल की खेती {Silybum Marianum}

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मिल्क थिस्टल की बोआई की प्रक्रिया। 👉जमीन को अच्छे से 4 से 5 गाड़ी गोबर की खाद मिला कर अच्छे से मिला कर जुताई करवा लेना है। 👉मिट्टी को भुरभुरी करवा लेना है। 👉जमीन में  पटेला लगा कर एक बार चलवा लेना है। 👉उसके बाद बीज़ का छिड़काव करना है। 👉उसके बाद पटेला एक बार पुनः चला लेना है। 👉उसके बाद 5 फुट के बाद एक एक नाली बना लेना है। 👉बीज़ डालने एक सप्ताह बाद  नाली में पानी चलवा कर मिट्टी को नमी दे देनी है। 👉अंकुरण व जमीन की स्थिति को देखते हुए पानी अर्थात सिंचाई देनी है। 👉अनुमानित 3 से 4 महीने में फूल आना प्रारम्भ हो जाता है।जिसकी परिपक्वता अनुमानित 15 दिनों में हो जाती है।उसे कटवा कर सुखाते हुए एकत्रित करना  होता है।इस प्रकार 6 महीने के आस पास लगभग फ़सल आ जाती है। 👉यदि सिंचाई की व्यवस्था हो तो आप 2 महीने और फ़सल को चला सकते है और उत्पादन बढ़ा सकते है। औषधीय खेती विकास संस्थान सम्पर्क:-9044966260 website : www.akvsherbal.com 🙏नमस्कार दोस्तों🙏 सभी से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ध्यान से पड़े।  नोट:- उपरोक्त विवरण में लागत,आय,खर्च,समय आदि सामान्य रूप से ली जाने वाली फसल के आधार पर है जो मूल रूप से

लेमनग्रास की खेती (नींबू घास)

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लेमनग्रास की खेती  ( नींबू घास) एक ऐसी फसल जिसकी खेती बंजर से बंजर भूमि, ऊसर, अनुपजाऊ, सूखाग्रस्त क्षेत्रों, पथरीली, कंकरीली जमीनों, पहाड़ों, जंगलों सड़कों, तालाबों, रेलवे पटरिओं के किनारे तथा उबड़ खाबड़ जमीनों पर बड़ी ही आसानी से कर सकते है I फसल परिचय लेमन ग्रास को चाइना ग्रास, नींबू घास, मालाबार घास, और कोचीन घास भी कहते है ! यह सरपत, या कुश के पौधे की तरह झुण्ड में होता है एवं एक झुण्ड में लगभग 20-25 पौधे होते है जिन्हे स्लिप कहते है I इस पौधे की पत्तियों से तेल निकाला जाता है, इसमें CITRAL नमक तत्व होने के कारण इसमें नीम्बू की खुशबू होती है, जिसका प्रयोग, उत्पादों में सुगंध डालने हेतु किया जाता है, खासतौर से हर्बल, कॉस्मेटिक, डिटर्जेंट, साबुन, चाय आदि उद्योगों में भारी मांग रहती है, व्यापारी को बस पता चलने की देर होती है की फलाना क्षेत्र में इसे उगाया जा रहा है, वह आकर आपके घर से खरीद ले जाता है I फसल उत्पादन में लागत: कोई भी किसान जो इसकी खेती करता है वहां से आपको एक स्लिप 1.50 रूपये में मिल जाएगी और प्रति एकड़ तकरीबन 22,000 स्लिप रोपी जाती है यानि प्रति एकड़ 33,000 रूपये की लगत सिर्फ

E20 पेट्रोल की बिक्री शुरू, ₹60 तक हो सकती कीमत

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E20 पेट्रोल की बिक्री शुरू, ₹60 तक हो सकती कीमत: पुरानी गाड़ी में डाल सकते हैं, पैसे बचेंगे लेकिन क्या इंजन पर पड़ेगा असर यो देश के कुछ शहरों में E20 पेट्रोल यानी एथेनॉल मिला पेट्रोल बिकना शुरू हो चुका है। सरकार यह EBP यानी एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के तहत कर रही है। पहले स्टेज में दस से ज्यादा शहरों में इसकी बिक्री शुरू हुई है, अगले दो साल में देशभर में E20 पेट्रोल मिलने लगेगा। आज  जरूरत की खबर  में जानेंगे कि क्या है E20 पेट्रोल, इससे क्या फायदा है, क्या पुरानी गाड़ियों में भी यह इस्तेमाल हो सकेगा और क्या यह पेट्रोल से सस्ता होगा। आज के हमारे एक्सपर्ट हैं विकास योगी, ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट और नरेंद्र तनेजा, एनर्जी एक्सपर्ट। सवाल: E20 पेट्रोल क्या है? जवाब:  जब 80% हिस्सा पेट्रोल का और 20% हिस्सा एथेनॉल का मिलाया जाए तो इसे E20 पेट्रोल कहा जाता है। इसका इस्तेमाल पेट्रोल की ही तरह ईंधन के रूप में किया जा सकता है। सवाल: ये EBP क्या है? जवाब:  EBP यानी एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम। यह सरकार का एक प्रोग्राम है जिसके तहत साल 2018 में टारगेट रखा गया था कि साल 2030 तक देश में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग व

महोगनी की खेती { African Mahogany Farming }

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महोगनी की खेती African Mahogany Farming फ़सल लगाने का समय : फरवरी से नवंबर फ़सल का उत्पादन का समय :  3 वर्ष के बाद बीज से 12 वर्ष के बाद लकड़ी से। प्रति एकड़ में पौधों की संख्या : 500 पौधे (8x12) फिट खेत में गड्ढे की तैयारी : 6×6 inch पौधे की लागत : 100/-₹ प्रति पौधा (50,000/-₹) खेत में पौधे की लाइन :  पूरब से पश्चिम फ़सल का उत्पादन : प्रति पौधा 20 से 30 Cubic Feet बाज़ार मूल्य :  1000 प्रति Cubic Feet अनुमानित फ़सल से लाभ : 1 करोड़ तक अनुमानित औषधीय खेती से अतिरिक्त आय : 4 से 36 माह तक ( चिया,कलौंजी,तुलसी, अश्वगंधा,अकरकरा, सतावर, सर्पगंधा, एपल बेर,ताइवान पिंक अमरूद, बारा मासी नींबू आदि।  ट्रांसपोर्ट चार्ज-: 500 पौधों से अधिक पर 25% भाड़ा संस्था देगी। 1000 पौधों से अधिक पर 50% भाड़ा संस्था देगी। 2000 पौधों से अधिक पर 100% भाड़ा संस्था देगी। नोट-: औषधीय खेती विकास संस्थान की सहायता से किसान भाई औषधीय पादपों की खेती के लिए सभी प्रकार की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। जैसे-: कॉन्टैक्ट फार्मिंग, बायबैक एग्रीमेंट, ट्रेनिंग, बीज व जैविक खाद, खेती के दरम्यान गाइडेंस ट्रेनिंग आदि। महोगनी की लकड़ी मज़बूत और

एथेनॉल पर सरकार का वो फ्यूचर प्लान जो आम आदमी के साथ किसानों को देगा सीधा फायदा!

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एथेनॉल पर सरकार का वो फ्यूचर प्लान जो आम आदमी के साथ किसानों को देगा सीधा फायदा! बढ़ते पेट्रोल - डीजल के दामों के बीच केंद्र सरकार वैकल्पिक ईंधन के तौर पर एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ाने की बात कह रही है. सरकार 6 महीने में देश भर में एथेनॉल पंप स्थापित करने की तैयारी में है.  ऐसा कहा जा रहा है कि एथेनॉल के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम तो होगा साथ ही लोगों पर पेट्रोल के खर्च का भार भी कम हो जाएगा. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से एथेनॉल गाड़ियां बनाने की अपील केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने फ्लेक्सी -फ्यूल इंजन मैन्यूफैक्चर करने की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से अपील की है.  फिलहाल भारत में एथेनॉल से चलने वाली कुछ ही गाड़ियां हैं, जिनका पुणे में ट्रायल चल रहा है.  कुछ साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एथेनॉल से चलने वाली बस का नागपुर में ट्रायल किया था. फ्लेक्सी -फ्यूल व्हीकल्स को ऑटोमोबाइल की दुनिया में FFVs के नाम से भी जाना जाता है. पेट्रोल- डीजल से चलने वाली गाड़ियों की तुलना में इनमें कुछ फीचर्स अलग होते हैं. फ्लेक्सी-फ्यूल व्हीकल्स के इंजन में आप अलग - अलग अनुपात में पेट्रोल और एथेनॉल मिलाकर चला सकत

Ready To Transport { Bamboo Hamiltoni / Bhima }

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Bamboo Hamiltoni / Bhima Ready To Transport सभी किसान भाइयों के उनके आर्डर के अनुसार बॉस के पौधे  01 फरवरी 2023 से भिजवाए जायेंगें। और जो भी हमारे किसान भाई बॉस के पौधों की बुकिंग कराना चाहते हैं!  बुकिंग राशि- 1999/-₹  बॉस की खेती से लाखों कमाएं। 🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋🎋 ☎️+91-9044966260 www.akvsherbal.com 🌱🌱 खेती करिये और खेती करवाइये लाभ लीजिये और लाभ दिलवाइये 🌱🌱 हमारे व्यवासायिक सिस्टम से जुड़ने के लिए आज ही हमसे संपर्क करें- औषधीय खेती विकास संस्थान सर्वे भवन्तु सुखिनः Group Of Companies  Advance Agro Tech Agra U.P यहाँ क्लिक करके What’s app द्वारा इंक्वरी कर सकते हैं!  http://api.whatsapp.com/send?phone=919044966260 औषधीय खेती विकास संस्थान  🙏नमस्कार दोस्तों🙏 सभी से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ध्यान से पड़े।   नोट:- उपरोक्त विवरण में लागत,आय,खर्च,समय आदि सामान्य रूप से ली जाने वाली फसल के आधार पर है जो मूल रूप से प्रकृति ,पर्यावरण एवं भौगोलिक परिस्थितियो पर निर्भर है।अतः आय को अनुमानित आधार पर दर्शाया गया है। जिसमे परिवर्तन (कम ज्यादा)हो सकता हैं।

बॉस की खेती "Bamboo Hamiltoni"

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बॉस की खेती खेती करने का समय : फरवरी / नवंबर फ़सल का उत्पादन का समय :  पहली कटाई 4 वर्ष, उसके बाद हर वर्ष, कटाई 60 वर्ष तक होगी। प्रति एकड़ में पौधों की संख्या : 650 पौधे (6x12) फिट खेत में  गड्ढे की तैयारी : 1×1फिट पौधे की लागत : 70/-₹ प्रति पौधा (45,000/-₹) फ़सल का उत्पादन : (150 से 200 टन) वापस खरीद मूल्य : 2000/-₹ टन फ़सल से लाभ : 3 से 5 लाख तक अनुमानित औषधीय खेती से अतिरिक्त आय : 4 से 36 माह तक ( चिया,कलौंजी,तुलसी, अश्वगंधा,अकरकरा, सतावर, सर्पगंधा आदि।  ट्रांसपोर्ट चार्ज-: 500 पौधों से अधिक 25% भाड़ा संस्था देगी। 1000 पौधों से अधिक 50% भाड़ा संस्था देगी। 2000 पौधों से अधिक100% भाड़ा संस्था देगी। नोट-: औषधीय खेती विकास संस्थान की सहायता से किसान भाई औषधीय पादपों की खेती के लिए सभी प्रकार की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। जैसे-: कॉन्टैक्ट फार्मिंग, बायबैक एग्रीमेंट, ट्रेनिंग, बीज व जैविक खाद, खेती के दरम्यान गाइडेंस ट्रेनिंग आदि। औषधीय खेती विकास संस्थान  🙏नमस्कार दोस्तों🙏 सभी से अनुरोध है कि इस पोस्ट को ध्यान से पड़े।  नोट:- उपरोक्त विवरण में लागत,आय,खर्च,समय आदि सामान्य रूप से ली जाने वा