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नीम के लाभ आयुर्वेदिक नुस्खे

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आज का विषय  नीम  नीम का वृक्ष अनेक औषधीय गुणों की खान है। नीम, हमारे शरीर, त्‍वचा और बालों के लिये बहुत फायदेमंद है। नीम सर्व कीटनाशक, कीटमारनाशक और फफूंदनाशकों के रूप में प्रयोग किया जाता है। नीम को संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, ‘श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।’ 🌿बालझड़ना - यदि किसी कारण सर  झरने लगे, परन्तु अभी अवस्था बिगड़ी न हो तो नीम और बेरी के पत्तो को पानी में उबालकर बालो को धोना चाहिए। इससे झड़ना रुक जाता है, कालीमा कायम रहती है और थोड़े थोरे ही दिनों में बाल खूब लम्बे होने लगते है। इससे जुए भी मर जाती है।  🌿नेत्र खुजली -  पत्ते छाया में सुखा ले और किसी बर्तन में डाल कर जलाये। ज्योही पत्ते जल जाये, बर्तन का मुँह ढक दे। बर्तन ठण्डा होने पर पत्ते निकाल कर सुरमे  तरह पीस ले। अब इस रख में नीबू का ताजा रास डालकर छह घंटे तक खरल करे और खुश्क  शीशी में रखे। रोजाना प्रातः व सायं सलाई द्धारा सुरमे के सामान उपयोग करे  🌿आँख का अंजन -  नीम के फूल छाँव में खुश्क कर बराबर वजन कलमी शोर मिलाकर बारीक़ पीस ले और कपरछन करे।  अनजान के रूप में रात्रि को सोते समय सला

तरबूज खाने के फायदे व हानि आयुर्वेदिक नुस्खे

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तरबूज   तरबूज गर्मी के मौसम का ठंडी तासीर वाला बहुत सस्ता फल है काले और सफेद बीजों से युक्त रसदार गुदे वाला ग्रीष्म ऋतु का एक बेहतरीन फल है तरबूज।  इसको मतीरा पानी फल कालिंद आदि नामों से जाना जाता है गर्मी के मौसम में अत्याधिक पसीना आने से शरीर में प्राकृतिक लवणों की मात्रा कम होने लगती है, जिससे शरीर में कमजोरी आने लगती है, तरबूज के सेवन से प्यास तो शांत होती ही है, साथ ही यह पोषक तत्वों एवं विभिन्न लवणों का अथाह भंडार होने के कारण शरीर के लिए आवश्यक लवणों की पूर्ति भी करता है, इसके सेवन से बैचैनी और घबराहट दूर होती है । तरबूज खाने से आंतों को चिकनाई मिलती है आंतों की जलन मिटती है यह खून को साफ करता है इसके नियमित सेवन से नेत्र ज्योति बढ़ती है। #आयुर्वेदिक गुण आयुर्वेद के अनुसार तरबूज मस्तिष्क एवं हृदय को ताजगी प्रदान करने वाला नेत्र ज्योति बढ़ाने वाला मन मस्तिष्क एवं में शरीर को शीतलता प्रदान करने वाला कफ नाशक पित्त नाशक वात नाशक और प्यास बुझाने वाला मधुर फल है। #तरबूज के फायदे  #कब्ज इसके सेवन से कब्ज की शिकायत दूर रहती है क्योंकि इसके इसको खाने से आंतों को चिकनाई  मिलती रहती है। #ब

मुलेठी के आयुर्वेदिक नुस्खे

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मुलेठी अब तक मुलेठी को सिर्फ खांसी ठीक करने के लिए ही जाना जाता था, लेकिन यहां जानिए इसके और भी फायदों के बारे में. स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है. इसका इस्तेमाल आंखों के रोग, मुंह के रोग, गले के रोग, दमा, दिल के रोग, घाव के उपचार के लिए सदियों से किया जा रहा है. यह वात, पित्त, कफ तीनों दोषों को शांत करके कई रोगों के उपचार में रामबाण का काम करती है .  #मुलेठी को यष्टीमधु के नाम से भी जाना जाता है।  *• मुलेठी ( mulethi )मुख, गले, पेट रोग, अल्सर, कफ, के रोगों में बहुत उपयोगी है।* *• यह कफ को सरलता से निकलने में मदद करती है। *• यह दमा में उपयोगी है।* *• मुलेठी चबाने से मुंह में लार का स्राव बढ़ता है। यह आवाज़ को मधुर बनाती है।* *• यह श्वसन तंत्र संबंधी विकारों, कफ रोगों, गले की खराश, गला बैठ जाना आदि में लाभप्रद है।* *• यह गले में जलन और सूजन को कम करती है।* *• यह पेट में एसिड का स्तर कम करती है।* *• यह जलन और अपच से राहत देती है तथा अल्सर से रक्षा करती है।* *• पेट के घाव, अल्सर, पेट की जलन, अम्लपित्त म

जल पीने के फ़ायदे और नुकसान आयुर्वेदिक नुस्खे

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  जल हमारा मानव शरीर पंचमहाभूतों से बना है, अग्नि वायु जल आकाश पृथ्वी  आज हम हमारे जीवन में #जल के महत्व को जानेंगे जहां एक और जीवन यापन के लिए शुद्ध जल आवश्यक है वहीं दूसरी और शुद्ध जल का औषधीय प्रयोग भी है आजकल विविध रोगों का कारण भी जल की अशुद्धता है  शुद्ध जल का प्रयोग करना ही प्राणी मात्र  के जीवन का संवर्धन करने में सहायक है आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है अजीर्ण में जल का प्रयोग औषधि के रूप में है एवं जिसमें भोजन जीर्ण हो रहा हो अर्थात पच रहा हो उसमें किया गया जल का प्रयोग बल को बढ़ाने वाला है भोजन के मध्य में किए गए अल्प जल का प्रयोग अमृत तुल्य है एवं भोजन के तुरंत पश्चात लिया गया जल विष पद है अजीर्ण की चिकित्सा जल से ही हो जाती है अजीर्ण हो जाने पर बिना कुछ खाए हुए सोते रहने से अथवा रास्ता चलने से या फिर थोड़ी थोड़ी देर में जल का सेवन करने से अजमेर ठीक हो जाता है यहां पर जल के प्रयोग से अजीर्ण की चिकित्सा की जा सकती है । जल का प्रयोग  कैसे किया जाए :--- जल का एक साथ अधिक मात्रा में सेवन करने से अन का पाचन नहीं होता एवं जल का सेवन न करने से यही दोष होता है अर्थात भोजन का पाचन

छाछ (लस्सी) आयुर्वेदिक नुस्खे

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छाछ (लस्सी) हम और आप ग्रामीण अंचल में रहते हैं तो छाछ बनाने की विधि तो सभी जानते ही होंगे।  इसलिए मैं आज आपको आज छाछ के गुण और कैसे प्रयोग करें ये बताऊंगा।  अच्छी प्रकार से तैयार की हुई छाछ अत्यंत रुचिकर सुपाच्य मल मूत्र को साफ करने वाली तथा अन्य द्रव्य को भी बचाने वाली होती है इसी कारण इसका प्रयोग संग्रहणी, अतिसार, अर्श, नलों की वायु, पीलिया, उदर शूल,  हैजा, मूत्र के रोग, अशमरी तथा गूल्म आदि विकारों किया जाता है। #गुण:--- 1 यह विष विकार का नाश करती है । 2 यह क्षुधावर्धक है । 3 यह नेत्र रोगनाशक है । 4 रक्त एवं मास की वृद्धि करती है । 5 आंव एवं कफ वात नाशक है । 6 नेत्र रोगों में लाभप्रद है । 7 ज्वर रोग नाशक है। 8 अतिसार, शुल, तिल्ली रुचि को दूर करती है। 9 कुष्ठ रोग एवं कुष्ठ रोग में सूजन में लाभदायक है। #रोगानुसार छाछ का प्रयोग :--- 1 वात विकार में सैंधा नमक के साथ प्रयोग करें।  2 पित विकार में शक्कर मिलाकर प्रयोग करें।  3 कफ विकार में सौंठ, सैंधा नमक, काली मिर्च व पीपल इन सभी को मिलाकर लेना चाहिए।  4 मुत्रकृच्छ में गुड के साथ प्रयोग करें।  5 पीलिया के रोग में चित्रक के चूर्ण के साथ ले।

लाजवन्ती (छुई-मुई) आयुर्वेदिक नुस्खे

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लाजवन्ती (छुई-मुई) जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता है जो छुने से मुरझा जाए उसे छुई -मुई कहते हैं। मैंने इस पौधे को पहली बार केरला में देखा था।  छुई-मुई के क्षुप (पौधे) छोटे होते हैं। यह भारत में गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। इसका पौधे जमीन पर फैला हुआ या थोड़ा सा उठा होता है। इसके 30 से 60 सेमी तक के क्षुप पाये जाते हैं। इसके पत्ते चने के पत्तों के समान होते हैं। छुई-मुई के फूलों का रंग हल्का बैंगनी होता है और इस फूल के ही ऊपर गुलाबी रंग के 3 से 9 सेमी लंबी फली लगती है जिसमें 3 से 5 बीज होते हैं। बारिश के महीनों में छुई-मुई में फल लगते हैं।  इसकी अनेक प्रजातिया होती हैं। #विभिन्न भाषाओं में छुई-मुई के नाम :- संस्कृत लज्जालु, नमस्कारी, शमीपत्रा।  हिन्दी         लजालु, छुई मुई। अंग्रेजी       सेनसिटिव पलॉट मराठी        लाजालू। बंगाली       लाजक। पंजाबी       लालवन्त। तैलुगु         अत्तापत्ती। गुजराती     लाजामनी #विभिन्न रोगों में प्रयोग :- #अजीर्ण: छुई-मुई के पत्तों का 30 मिलीलीटर रस निकालकर पिलाने से अजीर्ण नष्ट हो जाता है। #कामला (पीलिया): छुई-मुई के पत्तों का रस निकालकर पीने से कामला

पेट मे अफरा आयुर्वेदिक नुस्खे

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अफरा परिचय :-- इस व्याधि में रोगी रोगी का पेट फूल जाता है तथा उसमें वेदना उत्पन्न होकर समस्त शरीर को व्याकुल एवं एवं बेचैन कर देती है आचार्य चरक के अनुसार मलिन आहारों से जठराग्नि के मंद पड़ जाने से आहारों का पाचन नहीं होता है तब उदर में दोषों का संचय होने लगता है । कारण:--   इस व्याधि  के उत्पन्न होने के मुख्य कारण आंत्रिक ज्वर, श्वसनक ज्वर, संग्रहणी आंत्र का पक्षाघात, वायु मुख द्वारा निकालने की आदत, विष के सेवन का प्रभाव, अतिसार, कब्ज इसके मुख्य कारण है।  लक्षण:--- जठराग्नि की दुर्बलता से अजीर्ण होकर डकारे आना छाती के अंदर जलन होना वायु का दबाव पड़ने से हृदय की धड़कन तेज हो जाना, सिर  दर्द होना और चक्कर आना, पेट गड़बड़ना ,पेट में हर्ष समय अशांति सी अनुभव करना । घरेलू उपचार  1. एरंड का तेल और अदरक का स्वरस 20-20 ग्राम मिलाकर गर्म पानी के साथ पिएँ इसे वायु गोला में तुरंत लाभ पहुंचता है  2. सेंधा नमक, काली मिर्च, लौंग तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर रख ले, इसकी 2-3 ग्राम की मात्रा को 1 गिलास पानी में उबालकर पीए । प्रदीप ढुल  प्रदीप पाई आयुर्वेदिक केंद्र  बस स्टैंड के पास  गांव पाई जिला

कोरोना की दवाई आपके शरीर मे ही है

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कोरोना की दवाई आपके शरीर मे ही है कोरोना वायरस की कोई दवा अभी नही बनी है।  जो भी कोरोना से स्वस्थ हुए है वो सिर्फ अपनी इम्यूनिटी (शरीर की स्वयं रोगों से लड़ने की ताकत) से ही ठीक हुए है।  जिसकी इम्युनिटी अच्छी होगी वो बच जाएगा  मतलब ये हुआ कि हमारे शरीर की इम्युनिटी ही कॅरोना की दवाई है।  तो हमे सारा ध्यान अपनी इम्युनिटी बढ़ाने पर देना चाहिए यदि आप इस महामारी को मात देना चाहते हो। तो हमे यह सीखने की बहुत आवश्यकता है कि किन चीजों से इम्युनिटी बढ़ती है और किन चीजों से इम्युनिटी घटती है। पहले इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीजो पर ध्यान देते है:--- 1. योगा 2. व्यायाम या कोई खेल 3. घर का बना शुद्ध भोजन 4. आंवला (किसी भी रूप मे खाए) 5. फल ( खासकर खट्टे फल) 6. हरी सब्जियां 7. दालें 8. गुड़ 9. शुद्ध तेल सरसों तिल या कोई भी (रिफाइंड बिल्कुल नही) 10. तुलसी गिलोय दालचीनी सोंठ हल्दी कालीमिर्च सेंधा नमक निंबु का गर्म पेय व अन्य आयुर्वेदिक पेय पदार्थ। 11. देशी गाय का दूध , दही , लस्सी , घी इत्यादि। #शरीर की इम्युनिटी घटाने वाली चीजें 1. मैदा (सबसे विनाशकारी पदार्थ, किसी भी रूप मे जैसे ब्रेड , नान , भट

लेमनग्रास के फायदे और आयुर्वेदिक नुस्खे

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आज का विषय  #लेमनग्रास लेमन ग्रास एक ऐसा हर्ब है जिसमें मौजूद नींबू की खुशबू के कारण इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा किया जाता है।  लेमन ग्रास को आमतौर पर चाय में डालकर इस्‍तेमाल किया जाता है लेकिन पश्चिम भारत में व्यंजनों में और विभिन्न प्रोडक्ट को बनाने में भी इस हर्ब का इस्‍तेमाल किया जाता है ये जादुई हर्ब कई बीमारियों को दूर करने में हेल्प करता है। नींबू की सुगंध लिये लेमन ग्रास में जबरदस्त औषधीय गुण होते हैं। यह  विटामिन ए और सी, फोलेट, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, जिंक, पोटैशियम, फास्फोररस, कैल्शि्यम और मैगनीज़ से भरपूर होती है।  लेमन ग्रास टी स्वास्थ्य के लिये लाभकारी मानी गई है। यह एंटीबैक्टीसरियल, एंटीफंगल, एंटी-कैंसर, एंटीडिप्रेसेंट गुणों से भरपूर होती है। ताजी सूखी लेमन ग्रास आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगी।  #लेमन ग्रास के लाभ:---- #एनीमिया दूर करें लेमनग्रास आयरन से भरपूर होने के कारण, यह उन महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी होती है जो आयरन की कमी से जूझ रही है। साथ ही यह एनीमिया के विभिन्न प्रकार में उपयोगी होता है। हमारी बॉडी में आयरन हीमोग्लोबिन (पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जा

गुलाब के फायदे आयुर्वेदिक नुस्खे

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गुलाब गुलाब सिर्फ एक बहुत खुबसूरत फूल ही नहीं है बल्कि  कई तरह के औषधिय गुणों से भी भरपूर है। गुलाब की खुश्बु ही नहीं इसके आंतरिक गुण भी उतने ही अच्छे हैं। गुलाब के फूल में कई रोगों के उपचार की भी क्षमता है।  गुलाब के फायदे  1. होंठों का कालापन गुलाब की कुछ पंखुड़ियां पीसकर समान मात्रा में मलाई मिलाकर होंठों पर नियमित लगाना चाहिए। इससे होंठों का कालापन दूर होता है। 2. मुंह के छाले गुलाब के फूल की पंखुड़ियां चबाने या उन्हें उबालकर बनाए गए काढ़े से गरारा करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं। रात भर पानी में सूखे गुलाब को पानी में भिगो कर रखें। सुबह से मसलकर पानी छान लें। इसमें 2 चम्मच चीनी मिलाकर पिएं। इससे पेट की गर्मी दूर हो जाएगी। जिससे छाले स्वत: समाप्त हो जाएंगे। 3. पेट के रोग गुलाब के औषधीय गुण पेट के विकार मिटाते हैं। गुलाब के फूल का रस, सौंफ का रस और पुदीने का रस मिलाकर रख लें। इसकी 4 बूंद पानी में मिलाकर पीने से पेट के रोग समाप्त होते हैं। भोजन करने के बाद 2 चम्मच गुलकंद 2 बार खाएं, पेट के रोग से बचे रहेंगे। 4. शीतपित्त गुलाब के फूल का रस और चंदन का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर शीतपित्